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Jadui Baal Kahaniyan, Hardback Book

Jadui Baal Kahaniyan Hardback

Hardback

Description

अगल ही पल सबका खन जम गया। एक भयकर गरजना हई, जिस सनकर राजकमार का घोडा अपनी अगली टाग हवा म उठाकर पीछ की ओर खिसका, अपन सवार को जमीन पर पटका और दसरी दिशा म भाग गया। वह इतना साहसी नही था कि इतनी भयानक गरजना वाल दानव क साथ यदध कर सक।गंगाराम ने कनकपुर जाकर राजा से पूछने का निश्चय किया। यदि यह सच में वही पत्थर है, तो वह उसे लौटा देगा। गंगाराम किसी को दुःखी नहीं देख सकता था। यदि राजकुमारी को उसके दुःख से मुक्ति दिलाना उसके हाथ में था, तो वह ऐसा अवश्य करेगा।रामदास झलसी के वन में लकड़ी काटने गया था। शेर-चीतों से बचने के लिए वह जान-बूझकर दिन के समय गया था। जब उसने किले के पास बारह फीट लंबे दो पैरों के एक जीव को देखा, तो वहाँ से भाग आया। उस जीव का शरीर रोओं से भरा था, हाथ-पैरों में नुकीले नाखून थे, मुँह के कोनों में तीखे दाँत थे, जैसे जानवरों के होते हैं, सुर्ख लाल आँखें थीं और उलझे हुए बाल थे।-इसी पुस्तक सेमहान् लेखक सत्यजित रे की 'जादुई बाल कहानियाँ', जिनमें छात्रों का सहज-सरल कौतूहल, रहस्य और रोमांच के प्रति आकर्षण और तीव्र उत्कंठा दिखाई देती हैं।

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