Mahabharat Ke Amar Paatra - Asthawati Draupadi Undefined
by Dr Vinay
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Description
दरौपदी महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ क सबस परसिदध पातर म स à¤à¤• ह। इस महाकावय क अनसार दरौपदी पाचाल दश क राजा दरपद की पतरी ह, जो बाद म पाचो पाणडवो की पतनी बनी। दरौपदी पच-कनयाओ म स à¤à¤• ह, जिनह चिर-कमारी कहा जाता ह। य कषणा, यजञसनी, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€, सरधरी आदि अनय नामो स à¤à¥€ विखयात ह। दरौपदी का विवाह पाचो पाणडव à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹ स हआ था। पाडवो दवारा इनस जनम पाच पतर (करमशः परतिविधय, सतसोम, शरतकीरती, शतानीक व शरतकरमा) उप-पाडव नाम स विखयात थ। पराचीन à¤à¤¾à¤°à¤¤ क महाकावय महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ क अनसार दरौपदी का जनम महाराज दरपद क यहा यजञकणड स हआ था। अतः यह 'यजञसनी' à¤à¥€ कहलाई। दरौपदी परवजनम म किसी ऋषि की कनया थी। उसन पति पान की कामना स तपसया की। शकर न परसनन होकर उस वर दन की इचछा की। उसन शकर स पाच बार कहा कि वह सरवगणसपनन पति चाहती ह। शकर न कहा कि अगल जनम म उसक पाच à¤à¤°à¤¤à¤µà¤¶à¥€ पति होग, कयोकि उसन पति पान की कामना पाच बार दोहरायी थी।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चितनधारा क विकास म वद, बरहमसतर, उपनिषद और गीता जस गरथो स ही हमारा तातपरय होता ह। परपरा का अरथ ह 'जो हमार पवितर-आरयगरथो म लिखा ह। अतः परी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परपरा को जानन क लिठदरशनो का अधययन आवशयक हो जाता ह। डॉ. विनय धरम की मिमाषा सकषप म और सरल à¤à¤¾à¤·à¤¾ म करन क लिठविखयात ह। उनहोन दो दरजन स अधिक पसतको की रचना की ह।
Information
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Out of stock
- Format:Undefined
- Pages:146 pages
- Publisher:Diamond Books
- Publication Date:27/08/2019
- Category:
- ISBN:9789352967858
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- Pages:146 pages
- Publisher:Diamond Books
- Publication Date:27/08/2019
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- ISBN:9789352967858