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Mahabharat Ke Amar Paatra - Asthawati Draupadi, Undefined Book

Mahabharat Ke Amar Paatra - Asthawati Draupadi Undefined

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Description

दरौपदी महाभारत क सबस परसिदध पातर म स एक ह। इस महाकावय क अनसार दरौपदी पाचाल दश क राजा दरपद की पतरी ह, जो बाद म पाचो पाणडवो की पतनी बनी। दरौपदी पच-कनयाओ म स एक ह, जिनह चिर-कमारी कहा जाता ह। य कषणा, यजञसनी, महाभारती, सरधरी आदि अनय नामो स भी विखयात ह। दरौपदी का विवाह पाचो पाणडव भाइयो स हआ था। पाडवो दवारा इनस जनम पाच पतर (करमशः परतिविधय, सतसोम, शरतकीरती, शतानीक व शरतकरमा) उप-पाडव नाम स विखयात थ। पराचीन भारत क महाकावय महाभारत क अनसार दरौपदी का जनम महाराज दरपद क यहा यजञकणड स हआ था। अतः यह 'यजञसनी' भी कहलाई। दरौपदी परवजनम म किसी ऋषि की कनया थी। उसन पति पान की कामना स तपसया की। शकर न परसनन होकर उस वर दन की इचछा की। उसन शकर स पाच बार कहा कि वह सरवगणसपनन पति चाहती ह। शकर न कहा कि अगल जनम म उसक पाच भरतवशी पति होग, कयोकि उसन पति पान की कामना पाच बार दोहरायी थी।
भारतीय चितनधारा क विकास म वद, बरहमसतर, उपनिषद और गीता जस गरथो स ही हमारा तातपरय होता ह। परपरा का अरथ ह 'जो हमार पवितर-आरयगरथो म लिखा ह। अतः परी भारतीय परपरा को जानन क लिए दरशनो का अधययन आवशयक हो जाता ह। डॉ. विनय धरम की मिमाषा सकषप म और सरल भाषा म करन क लिए विखयात ह। उनहोन दो दरजन स अधिक पसतको की रचना की ह।

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