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Bharat Mein Prashasanik Seva Pareekshayen Mithak Evam Yatharth, Paperback / softback Book

Bharat Mein Prashasanik Seva Pareekshayen Mithak Evam Yatharth Paperback / softback

Paperback / softback

Description

भारत म परशासनिक सवाए दश की वयवसथा की धरी ह, कयोकि दश की 130 करोड स अधिक जनसखया को सशासन परदान करन की कडी चनौती इनक समकष ह। इस हत योगय उममीदवारो क चयन की कई सतर की परणालिया ह, यथा-सघ लोक सवा आयोग, राजयो क लोक सवा आयोग, करमचारी चयन आयोग आदि, परत विगत कछ वरषो स इन चयन परणालियो पर कई गभीर परशन खड हए ह। सिविल सवा परीकषा म भाषाई भदभाव को लकर छातरो को सडक स ससद तक आदोलन करना पडा, एस.एस.सी. परीकषा म वयापत भरषटाचार की सी.बी.आई. जाच हत छातरो न सघरष किया। राजय लोक सवा आयोगो की सथिति यह हो चली ह कि सौ परशनो क सही उततर तक छातर नयायालय म काननी लडाई लडकर परापत करत ह। परीकषा आयोजन को लकर सघरष, सही परिणाम को लकर जददोजहद, यहा तक कि नियकति हत फिर एक और आदोलन। कया दश की परतिभाओ की यही नियति ह? कया य परीकषाए वासतव म परतियोगिता ह? कयो इन परणालियो क विरदध दिन-रात कडी महनत करनवाल छातरो को आदोलन करना पडता ह? कया यही सविधान परदतत अवसर की समानता ह?देश की व्यवस्था से जुड़े इन गंभीर प्रश्नों पर समग्र चिंतन कर देश के समक्ष परीक्षण की इन स्थितियों को स्पष्ट करने का एक विनीत प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है, ताकि इन व्यवस्थाओं में व्याप्त विसंगतियाँ राष्ट्र के समक्ष आएँ, इन पर राष्ट्रव्यापी विमर्श प्रारंभ हो एवं इनमें सुधार का मार्ग प्रशस्त हो सके।

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