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Khud Se Kayi Sawal, Hardback Book

Khud Se Kayi Sawal Hardback

Hardback

Description

कलाओ म भारतीय आधनिकता क एक मरधनय सयद हदर रजा एक अथक और अनोख चितरकार तो थ ही उनकी अनय कलाओ म भी गहरी दिलचसपी थी। विशषत: कविता और विचार म। व हिनदी को अपनी मातभाषा मानत थ और हालाकि उनका फरच और अगरजी का जञान और उन पर अधिकार गहरा था, व, फरास म साठ वरष बितान क बाद भी, हिनदी म रम रह। यह आकसमिक नही ह कि अपन कला-जीवन क उततरादरध म उनक सभी चितरो क शीरषक हिनदी म होत थ। व ससार क शरषठ चितरकारो म, 20-21वी सदियो म, शायद अकल ह जिनहोन अपन सौ स अधिक चितरो म दवनागरी म ससकत, हिनदी और उरद कविता म पकतिया अकित की। बरसो तक म जब उनक साथ कछ समय परिस म बितान जाता था तो उनक इसरार पर अपन साथ नवपरकाशित हिनदी कविता की पसतक ल जाता था : उनक पसतक-सगरह म, जो अब दिलली सथित रजा अभिलखागार का एक हिससा ह, हिनदी कविता का एक बडा सगरह शामिल था।रजा की एक चिनता यह भी थी कि हिनदी म कई विषयो म अचछी पसतको की कमी ह। विशषत: कलाओ और विचार आदि को लकर। व चाहत थ कि हम कछ पहल करना चाहिय। 2016 म साढ चौरानव वरष की आय म उनकी मतय क बाद रजा फाउणडशन न उनकी इचछा का सममान करत हए हिनदी म कछ नय किसम की पसतक परकाशित करन की पहल 'रजा पसतक माला' क रप म की ह।

Information

  • Format:Hardback
  • Pages:156 pages
  • Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
  • Publication Date:
  • Category:
  • ISBN:9788126730735
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  • Format:Hardback
  • Pages:156 pages
  • Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
  • Publication Date:
  • Category:
  • ISBN:9788126730735