![Khud Se Kayi Sawal, Hardback Book Khud Se Kayi Sawal, Hardback Book](http://hive.dmmserver.com/media/640/97881267/9788126730735.jpg)
Khud Se Kayi Sawal Hardback
by Amit Dutta
Hardback
Description
कलाओ म à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ आधनिकता क à¤à¤• मरधनय सयद हदर रजा à¤à¤• अथक और अनोख चितरकार तो थ ही उनकी अनय कलाओ म à¤à¥€ गहरी दिलचसपी थी। विशषत: कविता और विचार म। व हिनदी को अपनी मातà¤à¤¾à¤·à¤¾ मानत थ और हालाकि उनका फरच और अगरजी का जञान और उन पर अधिकार गहरा था, व, फरास म साठवरष बितान क बाद à¤à¥€, हिनदी म रम रह। यह आकसमिक नही ह कि अपन कला-जीवन क उततरादरध म उनक सà¤à¥€ चितरो क शीरषक हिनदी म होत थ। व ससार क शरषठचितरकारो म, 20-21वी सदियो म, शायद अकल ह जिनहोन अपन सौ स अधिक चितरो म दवनागरी म ससकत, हिनदी और उरद कविता म पकतिया अकित की। बरसो तक म जब उनक साथ कछ समय परिस म बितान जाता था तो उनक इसरार पर अपन साथ नवपरकाशित हिनदी कविता की पसतक ल जाता था : उनक पसतक-सगरह म, जो अब दिलली सथित रजा अà¤à¤¿à¤²à¤–ागार का à¤à¤• हिससा ह, हिनदी कविता का à¤à¤• बडा सगरह शामिल था।रजा की à¤à¤• चिनता यह à¤à¥€ थी कि हिनदी म कई विषयो म अचछी पसतको की कमी ह। विशषत: कलाओ और विचार आदि को लकर। व चाहत थ कि हम कछ पहल करना चाहिय। 2016 म साढ चौरानव वरष की आय म उनकी मतय क बाद रजा फाउणडशन न उनकी इचछा का सममान करत हठहिनदी म कछ नय किसम की पसतक परकाशित करन की पहल 'रजा पसतक माला' क रप म की ह।
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:156 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2018
- Category:
- ISBN:9788126730735
Information
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Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:156 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2018
- Category:
- ISBN:9788126730735