Please note: In order to keep Hive up to date and provide users with the best features, we are no longer able to fully support Internet Explorer. The site is still available to you, however some sections of the site may appear broken. We would encourage you to move to a more modern browser like Firefox, Edge or Chrome in order to experience the site fully.

Dayanand Pandey Ke 3 Charcheet Upanyas, Paperback / softback Book

Dayanand Pandey Ke 3 Charcheet Upanyas Paperback / softback

Paperback / softback

Description

सहजता ही दयानद पाडय क उपनयासो की शकति ह। उन क उपनयासो म वयौर बहत मिलत ह। ऐसा लगता ह, जीवन को यथासभव विसतार म दखन की एक रचनातमक जिद भी उन क उपनयासकार का सवभाव ह। इस शकति और सवभाव का परिचय दत उन क यह तीन उपनयास इस म पढ जा सकत ह। इन तीनो उपनयासो म समकालीन समाज क कछ ऐस बिब ह जिनम 'अपरतयाशित जीवन' की अनक छविया झिलमिलाती ह। 'सतरी' दयानद पाडय क उपनयासोक मखय सरोकारो म स एक ह। मनना जलदी आना , मजरिम चाद और मतरयी की मशकिल और इन क चरितर जीवन का अनसरण करत ह। किसी घोषित आदोलन का नही। हो सकता ह किसी पाठक-आलोचक को इन कहानियो और चरितरो म बौदधिक मारकाट या सदधातिक सघरष ऊपरी सतह पर तरता न दिख, फिर भी शीरषक लगा कर निषकरष दन क सथान पर य रचनाए जीवन को समसत विचलनो क साथ सामन लाती ह।मन्ना जल्दी आना भारत, बांगलादेश और पाकिस्तान के त्रिकोण में छटपटाते जाने कितने हिंदुओं-मुसलमानों के दुखों का बयान है। अब्दुल मन्नान और उन के परिवार की कहानी में जाति, धर्म, सियासत के कई समकालीन धब्बे भी दिखते हैं। सहज विवेक से दयानंद पांडेय ने इस कहानी को 'सांप्रदायिकता' से बचा लिया है। लेखक ने एक पुरानी युक्ति के रूप में तोते का इस्तेमाल किया है, जो तोताचश्म जमाने को देखते हुए एक नया अर्थ भी दे सकता है।दयानंद पांडेय का एक और उपन्यास मुजरिम चांद भी प्रशासन, पत्रकारिता और समाज की एक रोचक कहानी है। मुजरिम चांद में एक राज्यपाल हैं और अभिनेता दिलीप कुमार भी । किस तरह एक छोटी सी 'त्रुटि' के बाद पत्रकार राजीव का उत्पीड़न होता है और कैसे विशिष्ट के सामने सामान्य व्यक्ति उच्छिष्ट बन कर रह जाता है, इसे किस्सागोई के अंदाज में लेखक ने रेखांकित किया

Information

£11.99

 
Free Home Delivery

on all orders

 
Pick up orders

from local bookshops

Information