![Bharat Aur Uske Virodhabhas, Hardback Book Bharat Aur Uske Virodhabhas, Hardback Book](http://hive.dmmserver.com/media/640/97893874/9789387462229.jpg)
Bharat Aur Uske Virodhabhas Hardback
by Jean Dreze, Amartya, FBA Sen
Hardback
Description
नबब क बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अरथवयवसथा न सकल घरल उतपाद म वदधि क लिहाज स अचछी परगति की ह। उपनिवशवादी शासन तल जो दश सदियो तक à¤à¤• निमन आय अरथवयवसथा क रप म गतिरोध का शिकार बना रहा और आजादी क बाद à¤à¥€ कई दशको तक बहद धीमी रफतार स आग बढा, उसक लिठयह निशचित ही à¤à¤• बडी उपलबधि ह।लकिन ऊची और टिकाऊ वदधि दर को हासिल करन म सफलता अनतत: इसी बात स आकी जाà¤à¤—ी कि इस आरथिक वदधि का लोगो क जीवन तथा उनकी सवाधीनताओ पर कया परà¤à¤¾à¤µ पडा ह। à¤à¤¾à¤°à¤¤ आरथिक वदधि दर की सीढिया तजी स तो चढता गया ह लकिन जीवन-सतर क सामाजिक सकतको क पमान पर वह पिछड गया ह-यहा तक कि उन दशो क मकाबल à¤à¥€ जिनस वह आरथिक वदधि क मामल म आग बढा ह।दनिया म आरथिक वदधि क इतिहास म à¤à¤¸ कछ ही उदाहरण मिलत ह कि कोई दश इतन लमब समय तक तज आरथिक वदधि करता रहा हो और मानव विकास क मामल म उसकी उपलबधिया इतनी सीमित रही हो। इस दखत हठà¤à¤¾à¤°à¤¤ म आरथिक वदधि और सामाजिक परगति क बीच जो समबनध ह उसका गहरा विशलषण लमब अरस स अपकषित ह। यह पसतक बताती ह कि इन पारसपरिक समबनधो क बार म समà¤à¤¦à¤¾à¤°à¥€ का परà¤à¤¾à¤µà¥€ उपयोग किस तरह किया जा सकता ह। जीवन-सतर म सधार तथा उनकी बहतरी की दिशा म परगति और अनतत: आरथिक वदधि à¤à¥€ इसी पर निरà¤à¤° ह।* 'शिषट और नियतरित... उतकषट... नवीन।' -रामचनदर गहा, फाइनशियल टाइमस * 'बहतरीन... दनिया क दो सबस अनà¤à¤µà¥€ और बौदधिक परतयकषदरशियो की कलम स।' -विलियम डलरिमपल, नय सटटसमन * 'परोफसर अमरतय सन और जया दरज अपनी किताब स आपको सोचन पर मजबर कर दत ह... à¤à¤¾à¤°à¤¤ क लिठसबस बडी चिनता की बात आज क समाज म बढती हई असमानताठहोनी चाहिà¤à¥¤' -र
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:400 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2018
- Category:
- ISBN:9789387462229
Other Formats
- Paperback / softback from £19.45
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Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:400 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2018
- Category:
- ISBN:9789387462229