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Hum Hushmat Book
by Krishna Sobti
Book
Description
'हम हशमत' हमार समकालीन जीवन-फलक पर à¤à¤• लब आखयान का परतिबिब ह। इसम हर चितर घटना ह और हर चहरा कथानायक। 'हशमत' की जीवतता और à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥€ चितरातमकता उनह कालजयी मखड क सथापतय म सथित कर दती ह। परसतत ह 'हम हशमत' का तीसरा खड। समकालीनो क ससमरणो क बहान, इस शती पर फला हिदी साहितय समाज, यहा अपन वचारिक और रचनातमक विमरश क साथ उजागर ह। हिदी क सधी पाठको और आलोचको न 'हम हशमत' को ससमरण विधा म मील का पतथर माना था; 'हम हशमत' की विशषता ह तटसथता। कषणा सोबती क à¤à¥€à¤¤à¤° पखतगी स जम 'हशमत' की सोच और उसक तवर विलकषण रप स à¤à¤• साथ दिलचसप और गà¤à¥€à¤° ह। नजरिया à¤à¤¸à¤¾ कि à¤à¤• समय को साथ-साथ जीन क रिशत को निकटता स दख और परिचय की दरी को पाठकी बनत और बनावट म जजब कर ल। 'हशमत' की औपचारिक निगाह म दोसतो क लिठआदर ह, जिजञासा ह, जाससी नही। यही निषपकषता नà¤-परान परिचय को घनतव और लचक दती ह और पाठम साहितयिक निकटता की दरी को à¤à¥€ बरकरार रखती ह। अपनी ही आतमविशवासी आकरामकता की रौ और अà¤à¤¯à¤¾à¤¸ म परष-सतता दवारा बनाठअसहिषण साहितय-समाज म à¤à¤• परष का अनशासनीय बाना धरकर कषणा जी न 'हशमत' की निगाह को वह ताकत दी ह जिस सिरफ परष रहकर कोई मातर परष-अनà¤à¤µ स समà¤à¤µ नही कर सकता, न ही कोई सतरी, सतरी की सीमाओ को फलाग बगर साहितय समाज की इस मानवीय गहनता को छ सकती ह। à¤à¤¸à¤¾ पाठसाहितय और कलाओ म अरदधनारीशवर की रचनातमक समà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ की ओर इगित करता ह। 'हशमत' क इस तीसर खड म शामिल ह - सतयन कमार, जयदव, निरमल वरमा, अशोक वाजपयी, दवनदर इससर, निरमला जन, विà¤à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ राय, रवीनदर कालिया, शमà¤à¤¨à¤¾à¤¥, गिरधर राठी, आलोक महता और विषण खर। 'हम हशमत' कषणा सो
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:184 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2008
- Category:
- ISBN:9788126723607
Information
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:184 pages
- Publisher:Rajkamal Prakashan Pvt. Ltd
- Publication Date:01/01/2008
- Category:
- ISBN:9788126723607