![Ek Pita Ki Janmakatha, Hardback Book Ek Pita Ki Janmakatha, Hardback Book](http://hive.dmmserver.com/media/640/97893532/9789353220648.jpg)
Ek Pita Ki Janmakatha Hardback
by Madhav Joshi
Hardback
Description
माधव जोशी कची, बरश और रगो क अनपम शिलपी ह। अब तक उनकी रखाठबोलती थी। शबदो क जरिठउनका हिदी म यह पहला चमतकार ह। व रखाओ स चितर बनात ह। पर यह किताब उनकी सजन कची का शबदचितर ह। 'à¤à¤• पिता की जनमकथा' नामक यह किताब उनकी गहन सवदनाओ का सजल विसतार ह।इस उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का विषय नया और शैली पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ातà¥à¤®à¤• है। कथा पति-पतà¥à¤¨à¥€ के परसà¥à¤ªà¤° संबंधों की नई बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ तो डालती ही है, साथ ही कहानी की परंपरागत लीक को à¤à¥€ तोड़ती है। 'à¤à¤• पिता की जनà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾' लेखक का जिया और à¤à¥‹à¤—ा हà¥à¤† यथारà¥à¤¥ है, जिसे उसने à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के शबà¥à¤¦ दिठहैं। गरà¥à¤ से पहले संतान के साथ à¤à¤• 'पति' नौ महीनों में कैसे 'पिता' में तबà¥à¤¦à¥€à¤² हो जाता है। यह कथा à¤à¤¸à¥€ ही संवेदनाओं का सजीव और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• चितà¥à¤°à¤£ है। इसे पढ़कर किसी को à¤à¥€ लगेगा कि यह तो मेरी कथा है, मेरा यथारà¥à¤¥ है। उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के किरदार पाठकों से निरंतर संवाद करते हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाà¤à¤§à¥‡ रखते हैं।इस उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ की दूसरी à¤à¤¾à¤·à¤¾ इसके रेखाचितà¥à¤° हैं, जो हमें उस कालावधि के दृशà¥à¤¯-परिदृशà¥à¤¯ का बोध कराते हैं। कथा-साहितà¥à¤¯ में रेखाओं का à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कम ही देखने को मिलता है, जहाठचितà¥à¤° à¤à¥€ शबà¥à¤¦ हो जाते हों।'à¤à¤• पिता की जनà¥à¤®à¤•à¤¥à¤¾' हिंदी कथा-साहितà¥à¤¯ में अà¤à¤¿à¤¨à¤µ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— है। पति और पतà¥à¤¨à¥€ के बीच रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के बदलाव की यह कथा सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का सजीव लेखा-जोखा तो है ही, à¤à¤• अनमोल खजाना à¤à¥€ है, जिसमें आप बाप-बेटी और पति-पतà¥à¤¨à¥€ के आपसी रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के खूबसूरत जेवर को उसकी सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® आà¤à¤¾ के साथ देख सकते हैं।-हेमंत शरà¥à¤®à¤¾
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:216 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2022
- Category:
- ISBN:9789353220648
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:216 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2022
- Category:
- ISBN:9789353220648