Aao Bachcho Avishkarak Banen Book
by APJ Abdul Kalam, Srijan Pal Singh
Book
Description
महान वजञानिको का मसतिषक परशनो स à¤à¤°à¤¾ होन क कारण सदव अशात रहता ह। व किसी à¤à¥€ बात क लिठपछत ह कि à¤à¤¸à¤¾ कयो होता ह? कया म इसस बहतर कर सकता ह? या इसस बहतर कया हो सकता ह? व परशनो स लबालब à¤à¤° होत ह, कà¤à¥€-कà¤à¥€ व अपन परशनो स दसरो को à¤à¥€ नाराज कर दत ह। पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ बचà¥à¤šà¥‹, कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤® अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगा सकते हो कि अलेकà¥à¤œà¥‡à¤‚डर गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤® बेल का सबसे अधिक लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ छातà¥à¤° कौन था? वह हेलेन कीलर थी, जो दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤¹à¥€à¤¨ तथा बधिर होने के साथ-साथ à¤à¤• महानॠलेखिका, समाजसेविका तथा कवयितà¥à¤°à¥€ थीं। महानॠवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• छोटी-से-छोटी घटनाओं से à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होते हैं। वे असफलता को सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤• सीढ़ी के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर लेते हैं।यà¥à¤µà¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤°à¥‹à¤¤ डॉ. à¤.पी.जे. अबà¥à¤¦à¥à¤² कलाम का आपसे आगà¥à¤°à¤¹ है कि अपना छोटा सा लकà¥à¤·à¥à¤¯ चà¥à¤¨à¥‡à¤‚, अपने à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤• नई ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचार करें और à¤à¤• ऊà¤à¤šà¥€ उड़ान à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठउदà¥à¤¯à¤¤ हो जाà¤à¤à¥¤ यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• छातà¥à¤°à¥‹à¤‚-यà¥à¤µà¤¾à¤“ं में कà¥à¤› नया करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देती है, ताकि नवाचार और आविषà¥à¤•à¤¾à¤° कर हम समाज को बेहतर बनाने में कà¥à¤› योगदान दे सकें।
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:200 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:12/08/2016
- Category:
- ISBN:9789351865612
Information
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:200 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:12/08/2016
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- ISBN:9789351865612