Patrakarita Jo Maine Dekha, Jana, Samjha Hardback
by Sanjay Kumar Singh
Hardback
Description
सवततरता मिलन क बाद दश म लोकतातरिक वयवसथा सथापित हई। परकारातर म अखबारो की à¤à¤®à¤¿à¤•à¤¾ लोकततर क परहरी की हो गई और इस कारयपालिका, विधायिका, नयायपालिका क बाद लोकततर का 'चौथा सतà¤' कहा जान लगा। कालांतर में à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बनीं कि खोजी खबरें अब होती नहीं हैं; मालिकान सिरà¥à¤« पैसे कमा रहे हैं। पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ के उसूलों-सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों का पालन अब कोई जरूरी नहीं रहा। फिर à¤à¥€ नठसंसà¥à¤•à¤°à¤£ निकल रहे हैं और इन सारी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में कà¥à¤² मिलाकर मीडिया की नौकरी में जोखिम कम हो गया है और यह à¤à¤• पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨ यानी पेशा बन गया है। और शायद इसीलिठपतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ की पढ़ाई की लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ बढ़ रही है, जबकि पहले माना जाता था कि यह सब सिखाया नहीं जा सकता है। अब जब छातà¥à¤° à¤à¤¾à¤°à¥€ फीस चà¥à¤•à¤¾à¤•à¤° इस पेशे को अपना रहे हैं तो उनकी अपेकà¥à¤·à¤¾ और उनका आउटपà¥à¤Ÿ कà¥à¤› और होगा। दूसरी ओर मीडिया संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पेशेवर होने की बजाय विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ और खबरों के घोषित-अघोषित घाल-मेल में लगे हैं। à¤à¤¸à¥‡ में इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ पाठकों को यह बताना है कि कैसे यह पेशा तो है, पर अचà¥à¤›à¤¾ कॅरियर नहीं है और तमाम लोग आजीवन बगैर पूरà¥à¤£à¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• नौकरी के खबरें à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ का काम करते हैं और जिन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठकाम करते हैं, वह उनसे लिखवाकर ले लेता है कि खबरें à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ उनका वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ नहीं है।
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:184 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2017
- Category:
- ISBN:9789380839912
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:184 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2017
- Category:
- ISBN:9789380839912