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Buniyadi Taleem, Book Book

Buniyadi Taleem Book

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Description

जब हम गाधी जी दवारा परिकलपित तथा कारयानवित बनियादी शिकषा की बात करत ह तो अजीब-सा अनभव महसस हो सकता ह कयोकि गाधी जी की बनियादी शिकषा-परिकलपना क साथ आज क शिकषा जगत का कोई समबनध नही ह। परसतत पसतक का विचारणीय विषय यही ह कि गाधी जी दवारा परिकलपित बनियादी शिकषा की मलयदषटि कया ह और आज उस किस तरह स दखा-परखा जाना चाहिए तथा आज की नतन शिकषा पदधति क साथ इसको कस मिलाया जाना चाहिए। गाधी जी सचमच एक आतमसजग पीढी भारत क लिए तयार करना चाहत थ। इसलिए पराथमिक शिकषा म मातभाषा को कनदर म रखा। ऐस म हम यह सोचना चाहिए कि मातभाषा क माधयम स शिकषा, सभी तबको क विदयारथियो को समान सविधाओ वाली पाठशालाओ की परिकलपना और उनह सविधाए उपलबध कराना, शिकषा पदधतियो को समान बनाना, अधयापक-परशिकषण को वजञानिक बनाना, सविधाओ स वचित सामाजिक तबक क विदयारथियो को समककष तक ल आन योगय पदधतियो व योजनाओ का अखिल भारतीय सतर पर आविषकार करना आदि समान दषटि स जब तक कारयानवित नही होगा तब तक बनियादी शिकषा का यह मातभाषा म शिकषण का सपना अतीत का अवजञानिक सपना ही सिदध हो सकता ह। पसतक म बनियादी तालीम क विभिनन पकषो पर सारगरभित लख परसतत करन का परयास ह। इस विषय पर गमभीर चिनतन क लिए यह एक परवशिका का कारय करगी, इसी आशा क साथ इस पाठको क समकष परसतत किया जा रहा ह।.

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