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Anviti : Sahitya Ke Parisar Mein Kunwar Narain - Khand: 2, Hardback Book

Anviti : Sahitya Ke Parisar Mein Kunwar Narain - Khand: 2 Hardback

Hardback

Description

कवर नारायण हमार समय क बड कवि ह। यदि विशव क कछ चनिनदा कवियो की तालिका बनाई जाए तो उसम निससनदह उनका सथान होगा। व आधनिक बोध और सवदना क उन कवियो म ह जिनहोन सदव कविता को मनषयता क आभरण क रप म लिया ह। कवर नारायण का कावय मानवीय गणो का ही नही, मानवीय ससकारो का कावय ह। कविता म उनका परवश चकरवयह स हआ। अपन गठन म कलातमक किनत दारशनिक परतीतियो वाल इस सगरह म जीवन की पचीदगियो को कवि न सलीक स उठाया ह। आतमजयी की लगभग अधसदी क बाद वाजशरवा क बहान की रचना बतौर कवर नारायण यह भी जतान क लिए ह कि यदि आतमजयी म मतय की ओर स जीवन को दखा गया ह तो वाजशरवा क बहान म जीवन की ओर स मतय को दखन की एक कोशिश ह। उनक इस कथन को हम इस रोशनी म दख सकत ह कि सारा कछ हमार दखन क तरीक पर निरभर ह-कछ ऐस कि यह जीवन विवक भी एक शलोक की तरह सगठित और अकाटय हो। उनक रचना-ससार पर समय-समय पर लिखा जाता रहा ह। अनक शोधारथियो न उनक वयकतितव और साहितय पर कारय किया ह। कहना न होगा कि कवर नारायण का कतितव बहवसतसपरशी ह। वरष 2002 स पहल तक उनक वयकतितव एव कतियो पर लिख महततवपरण लख उपसथिति नामक सचयन म समाविषट ह। उसक पशचात लिख निबनधो का यह सकलन दो खडो म ह :अनवय और अनविति। अनविति उनकी कतियो को कनदर म रखकर लिख आलोचनातमक निबनधो का चयन ह। इसम हाल की कछ परकाशित कतियो को छोडकर बाकी कतियो पर लिख लखो को शामिल किया गया ह जो उपसथिति म सममिलित नही ह। अधिकाश लख 2015 तक क ह जब कवर नारायण का परबनध-कावय कमारजीव परकाशित हआ। आशा ह, पाठको को य दोनो खड उपयोगी और परासगिक ल

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