Bhashan Kala Book
by Mahesh Sharma
Book
Description
जिस परकार धनष स निकला हआ बाण वापस नही आता, उसी परकार मह स निकली बात à¤à¥€ वापस नही आती, इसलिठहम कछ à¤à¥€ बोलन स पहल सोच-समà¤à¤•à¤° बोलना चाहिà¤à¥¤à¤à¤¾à¤·à¤£ देना, वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना अपनी बात को कलातà¥à¤®à¤• और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ ढंग से कहने का तरीका है। इसमें अपने à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ को आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥â€à¤µà¤¾à¤¸ के साथ नपे-तà¥à¤²à¥‡ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कहने की दकà¥à¤·à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ कर वà¥à¤¯à¤•à¥â€à¤¤à¤¿ ओजसà¥à¤µà¥€ वकà¥â€à¤¤à¤¾ हो सकता है। हाथों को नचाकर, मà¥à¤–मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ बनाकर ऊà¤à¤šà¥‡ सà¥à¤µà¤° में अपनी बात कहना मातà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤£-कला नहीं है। à¤à¤¾à¤·à¤£ à¤à¤¸à¤¾ हो, जो शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ को समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कर ले और वह पूरा à¤à¤¾à¤·à¤£ सà¥à¤¨à¥‡ बिना सà¤à¤¾ के बीच से उठे नहीं।यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• सिखाती है कि वहीं तक बोलना जारी रखें, जहाठतक सतà¥à¤¯ का संचित कोष आपके पास है। धीर-गंà¤à¥€à¤° और मृदॠवाकà¥à¤¯ बोलना à¤à¤• कला है, जो संसà¥à¤•à¤¾à¤° और अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ से सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही आती हैपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में वाकà¥-चातà¥à¤°à¥à¤¯ की परंपरा की छटा को नयनाà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤® बनाते हà¥à¤ कà¥à¤› विलकà¥à¤·à¤£ घटनाओं का à¤à¥€ समावेश किया गया है, जो कहने और सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बीच à¤à¤• मजबूत सेतॠका काम करती हैं। विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, परीकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€, साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° की तैयारी करनेवाले तथा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥â€à¤ वाकà¥-कौशल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥â€à¤¤ करने के लिठà¤à¤• पठनीय पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥¤
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:152 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:22/10/2013
- Category:
- ISBN:9789380183954
Information
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:152 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:22/10/2013
- Category:
- ISBN:9789380183954