Parvarish 2.0 Paperback / softback
by N. Raghuraman
Paperback / softback
Description
पसतक सारमाठके लिठसिरà¥à¤« 'मदरà¥à¤¸ डे' ही काफी नहीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि साल का हर दिन किसी-न-किसी रूप में माठकी ही शकà¥à¤¤à¤¿ से चलता है।******विफल होने के बहà¥à¤¤ से कारण हो सकते हैं, लेकिन सफल होने के लिठà¤à¤• ही वजह काफी है-जीवन से संघरà¥à¤· करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¥¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ उकà¥à¤¤à¤¿ याद कीजिà¤, 'ईशà¥à¤µà¤° उनकी मदद करता है, जो अपनी मदद करते हैं।'******बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ इनसानियत से जोडि़ठऔर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह अहसास होने दीजिठकि हीरो à¤à¥€ फेल होते हैं। यह आज के अवसाद के दौर को हैंडल करने का अचà¥à¤›à¤¾ तरीका होगा।******बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लालन-पालन यानी पेरेंटिंग का कोई शॉरà¥à¤Ÿà¤•à¤Ÿ नहीं होता। यह हम पर है कि हम कैसे बचà¥à¤šà¥‡ के विकास में अहम à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ वाली इस परंपरा को नाकाम न होने दें।******यदि आप चाहते हैं कि आपके बचà¥à¤šà¥‡ अपने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की छाप छोड़ें तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी-न-किसी रूप में दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° के साहितà¥à¤¯ से परिचित कराइà¤à¥¤ इस तरह के पठन-पाठन से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ विकसित करने में मदद मिलेगी।-इसी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• सेपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ लाइफ कोच और मोटिवेशन गà¥à¤°à¥ à¤à¤¨. रघà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¨ के ये विचार बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लालन-पालन और परवरिश के बारे में वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• जानकारी देते हैं। ये सूतà¥à¤° बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के चहà¥à¤à¤®à¥à¤–ी विकास में सहायक सिदà¥à¤§ होंगे और आपको à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ और सफल अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• होने का गौरवबोध à¤à¥€ करवाà¤à¤à¤—े।
Information
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Out of stock
- Format:Paperback / softback
- Pages:160 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2020
- Category:
- ISBN:9789353229085
Information
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Out of stock
- Format:Paperback / softback
- Pages:160 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2020
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- ISBN:9789353229085