Main Mirtyu Sikhata Hoon Paperback / softback
by Osho
Paperback / softback
Description
समाधि म साधक मरता ह सवय, और चकि वह सवय मतय म परवश करता ह, वह जान लता ह इस सतय को कि म ह अलग, शरीर ह अलग। और à¤à¤• बार यह पता चल जाठकि म ह अलग, मतय समापत हो गई। और à¤à¤• बार यह पता चल जाठकि म ह अलग, और जीवन का अनà¤à¤µ शर हो गया। मतय की समापति और जीवन का अनà¤à¤µ à¤à¤• ही सीमा पर होत ह, à¤à¤• ही साथ होत ह। जीवन को जाना कि मतय गई, मतय को जाना कि जीवन हआ। अगर ठीक स समठतो य à¤à¤• ही चीज को कहन क दो ढग ह। य à¤à¤• ही दिशा म इगित करन वाल दो इशार ह।
ओशो
मतय स अमत की ओर ल चलन वाली इस पसतक क कछ विषय बिद:
* मतय और मतय-पार क रहसय
* सजग मतय क परयोग
* निदरा, सवपन, सममोहन व मरछा क पार - जागति
* सकषम शरीर, धयान व ततर-साधना क गपत आयाम
Information
-
Item not Available
- Format:Paperback / softback
- Pages:344 pages
- Publisher:Diamond Books
- Publication Date:01/01/2007
- Category:
- ISBN:9788171824090
Information
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Item not Available
- Format:Paperback / softback
- Pages:344 pages
- Publisher:Diamond Books
- Publication Date:01/01/2007
- Category:
- ISBN:9788171824090