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Jeena Sikhati Hai Ramkatha, Book Book

Jeena Sikhati Hai Ramkatha Book

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Description

रामचरितमानस का दरशन, इसकी फिलॉसफी, इसक विचार, सिदधात, नीति, शबदो का गठन सबकछ अदभत है। कहते हैं, जिस समय तुलसीदासजी ने रामचरितमानस लिखी, उनके दो ही सहारे थे-एक राम और दूसरे हनुमान। हनुमानजी उनका प्रमुख सहारा थे, गुरु थे उनके।जब रामचरितमानस लिखना आरंभ किया तो कहते हैं, रामचरितमानस के प्रत्येक दृश्य, प्रत्येक चौपाई, दोहा, सोरठा, छंद को तुलसीदासजी ने लिखा था। हनुमानजी रामकथा का एक-एक दिव्य दृश्य दिखाते और तुलसीदासजी लिखते चले जाते। कोई रचनाकार, सृजनकार, साहित्यकार पूरे घटनाक्रम को इस प्रकार अपने सामने देखे और लिखे, तभी उन पंक्तियों में प्राण आते हैं। तुलसीदासजी ने जिया है रामकथा को। इसीलिए रामायण हमें जीना सिखाती है।देश-काल, परिस्थिति के अनुसार पूरी रामकथा को सात भागों में बाँटते हुए इन्हें सात सोपान या सात कांड कहा जाता है। रामायण में सात कांड हैं-बाल कांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और उत्तर कांड। प्रत्येक कांड में उत्तम जीवन के सूत्र समाए हैं। इस पुस्तक में उन्हें क्रमशः व्याख्यायित किया गया है। हर आम और खास की सहज समझ में आनेवाली शैली में लिखी सर्वथा नवीन रामकथा, जो हमारे जीवन को एक नई दिशा देगी, नए आयाम खोलेगी।

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