Jeena Sikhati Hai Ramkatha Book
by Pt. Vijay Shankar Mehta
Book
Description
रामचरितमानस का दरशन, इसकी फिलॉसफी, इसक विचार, सिदधात, नीति, शबदो का गठन सबकछ अदà¤à¤¤ है। कहते हैं, जिस समय तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¤œà¥€ ने रामचरितमानस लिखी, उनके दो ही सहारे थे-à¤à¤• राम और दूसरे हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ उनका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सहारा थे, गà¥à¤°à¥ थे उनके।जब रामचरितमानस लिखना आरंठकिया तो कहते हैं, रामचरितमानस के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दृशà¥à¤¯, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• चौपाई, दोहा, सोरठा, छंद को तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¤œà¥€ ने लिखा था। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ रामकथा का à¤à¤•-à¤à¤• दिवà¥à¤¯ दृशà¥à¤¯ दिखाते और तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¤œà¥€ लिखते चले जाते। कोई रचनाकार, सृजनकार, साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° पूरे घटनाकà¥à¤°à¤® को इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अपने सामने देखे और लिखे, तà¤à¥€ उन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¾à¤£ आते हैं। तà¥à¤²à¤¸à¥€à¤¦à¤¾à¤¸à¤œà¥€ ने जिया है रामकथा को। इसीलिठरामायण हमें जीना सिखाती है।देश-काल, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पूरी रामकथा को सात à¤à¤¾à¤—ों में बाà¤à¤Ÿà¤¤à¥‡ हà¥à¤ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सात सोपान या सात कांड कहा जाता है। रामायण में सात कांड हैं-बाल कांड, अयोधà¥à¤¯à¤¾ कांड, अरणà¥à¤¯ कांड, किषà¥à¤•à¤¿à¤‚धा कांड, सà¥à¤‚दर कांड, लंका कांड और उतà¥à¤¤à¤° कांड। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कांड में उतà¥à¤¤à¤® जीवन के सूतà¥à¤° समाठहैं। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤ किया गया है। हर आम और खास की सहज समठमें आनेवाली शैली में लिखी सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ नवीन रामकथा, जो हमारे जीवन को à¤à¤• नई दिशा देगी, नठआयाम खोलेगी।
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:224 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:12/08/2016
- Category:
- ISBN:9789351868323
Information
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:224 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:12/08/2016
- Category:
- ISBN:9789351868323