Bhikhna Pahari Paperback / softback
by Ramesh Chandra
Paperback / softback
Description
""रमश चदर हिदी क अतयत परà¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ शिलपकार ह । कहानी बनन और कथानक को विशवसनीयता क साथ आतमीय बनान क लिठरचनाकार की सकषम दषटि और मानवीय मलय की सकारातमकता बहद जररी होती ह। इस à¤à¤¤à¤¬à¤¾à¤° स चदर सवाà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• रप स हम पारगत नजर आत ह। सबस बडी विशषता कहानी की पठनीयता होती ह। चदर निससदह अपनी पीढी क à¤à¤¸ रचनाकार ह, जिनम बखबी यह हनर ह।कहानी à¤à¥€ समाज का आईना होती है। और जब तक हमारा चेहरा साफ-साफ नहीं दिखता, हम आईने पर यकीन नहीं कर सकते। "à¤à¤¿à¤–ना पहाड़ी ' में शीरà¥à¤·à¤• कथा के अलावा अनà¥à¤¯ कहानियों--ऊà¤à¤˜à¤¤à¥€ उà¤à¤—लियाठऔर लाली लौट गई ! कमासà¥à¤¤, कसूर कà¥à¤¯à¤¾ था ? कैसे मरद हो जी ?, घंटाघर, जामà¥à¤¨ की जड़, तेरी बेटी, तू जाने! दरकती दीवारें और जीरो माइल से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ जिंदगी के कई रंग रोशन होते हैं ।साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ के निरंतर आरोह-अवरोह की तरह जिंदगी à¤à¥€ हर जगह अपनी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ और शरà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर चलती है। à¤à¤¸à¥‡ में हमारा गहन तजà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾ ही रचनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के आवरण में ढलकर कोई जीवंत आकृति उकेर सकता है। यही जजà¥à¤¬à¤¾ रमेश चंदà¥à¤° की पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ कहानियों में मौजूद है। चंदà¥à¤° ने वकà¥â€à¤¤ की नबà¥à¤œ पहचानी है। कहानियाठà¤à¤¸à¥‡ मोड़ पर अवशà¥à¤¯ ठहरती हैं, जहाठहमें संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के कई रासà¥à¤¤à¥‡ नजर आते हैं। अपने कथा-परिवेश को चंदà¥à¤° ने वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• बना दिया है। हम समà¤à¤¤à¥‡ हैं कि हिंदी के अलावा इन कहानियों को विà¤à¤¿à¤¨à¥â€à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अवशà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚तरित होना चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विषय और कथानक की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से ये बदलती दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की बेहद मारà¥à¤®à¤¿à¤• कहानियाठहैं ।-डॉ. कासिम खà¥à¤°à¤¶à¥€à¤¦, अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ शायर, लेखक ओर शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥â€Œ, मो. : 9334079876
Information
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Item not Available
- Format:Paperback / softback
- Pages:184 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/01/2023
- Category:
- ISBN:9789390372034
Information
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Item not Available
- Format:Paperback / softback
- Pages:184 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/01/2023
- Category:
- ISBN:9789390372034