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Ek Prem Kahani Aisi Bhi, Hardback Book

Ek Prem Kahani Aisi Bhi Hardback

Hardback

Description

कभी-कभी पयार महज आखो का धोखा होता ह। कभी-कभी यह आपकी जिदगी का एकमातर लकषय बन जाता ह। जब हर किसी पर यह बखार चढा ह कि सोशल मीडिया पर कया टरड कर रहा ह, तब रघ किताबो म खोया ह। उसक लिए तो पयार करन का खयाल भी किताबो तक ही सिमटा ह। फिर एक दिन उसकी मलाकात रही स होती ह। करीब आ रह छातर-सगठन क चनावो क दौरान उनका पयार परवान चढ रहा था कि रघ एक ऐसी मशकिल म फस जाता ह, जिसस निकलना उसक लिए असभव सा हो जाता ह। उसक जिगरी दोसतो न उस बाहर निकालन का एक पलान बनाया, लकिन उसकी मसीबत और बढ गई।क्या रघु सही-सलामत निकल पाएगा या कैंपस की राजनीति का तूफान उसे उड़ा ले जाएगा?सामाजिक-राजनीतिक दाँव-पेंच में उलझी पृष्ठभूमि पर आधारित सुदीप की यह नई पुस्तक रिश्तों के स्याह पहलू, सत्ता की भूख और रसूखदारों के पाखंड की परतें उधेड़ती है।

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