Samarth Guru Ramdas Book
by M.I. Rajasvi
Book
Description
à¤à¤¾à¤°à¤¤ क सकल समाज क उदधार म समरथ गर रामदास का महततवपरण योगदान ह। समरथ गर न यवावसथा म ही खयाति अरजित कर ली थी। गर रामदास न à¤à¤¸ अनक दषकर à¤à¤µ असà¤à¤µ लगनवाल कारय किà¤, जिनह सपनन करन क कारण उनह 'समरथ गर' कहा गया। लंबे समय के बाद समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ की à¤à¥‡à¤‚ट छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी से हà¥à¤ˆà¥¤ दोनों ने मिलकर सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¤µà¤‚ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¨ में छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी मराठा सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गà¥à¤°à¥ के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं होता है, गà¥à¤°à¥ ही सचà¥à¤šà¤¾ मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤• होता है और वह गà¥à¤°à¥ समरà¥à¤¥ रामदास जैसा हो तो निसà¥à¤¸à¤‚देह शिवा का ही जनà¥à¤® होता है। वह शिवा जो राषà¥à¤Ÿà¥à¤° का गौरव है, रकà¥à¤·à¤• है, मारà¥à¤—-पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤• है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 'समरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¥ रामदास' à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जन-समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लिठअतà¥à¤¯à¤‚त पठनीय है।
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:160 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:10/03/2016
- Category:
- ISBN:9789351867715
Information
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:160 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:10/03/2016
- Category:
- ISBN:9789351867715