Deshbhakti Ke Pavan Teerth Book
by Rishi Raj
Book
Description
यह पसतक समावश ह यातरा-वततात और वीरो स जड à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• सथलो का, जिसम लखक न परयास किया ह कि व अतयत रोचक तरीक स आज की पीढी को हमार दश क सवरणिम इतिहास स अवगत करवाà¤à¥¤ इस पसतक की शरआत 1857 की कराति स जड सथानो जस की बरकपर (पशचिम बगाल), वललोर (तमिलनाड) और मरठस की गई, जहा स आजादी की लौ परजवलित हई थी। à¤à¤¾à¤°à¤¤ म इन जगहो क इतिहास पर तो आपको कई पसतक मिल जाà¤à¤—ी, पर यातरा-वततात क साथ इतिहास क इस अनठमल पर à¤à¤¸à¥€ पसतक शायद पहली बार परकाशित हो रही ह। लेखक पाठक को 1857 के कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ से लेकर 1999 के कारगिल यà¥à¤¦à¥à¤§ से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर लेकर गठहैं। इसके अलावा सेलà¥à¤²à¥à¤²à¤° जेल, हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨à¥€à¤µà¤¾à¤²à¤¾, सियाचिन और जलियावाला बाग पर à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ हैं। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लेखक ने हमारे देशà¤à¤•à¥à¤¤ और जांबाज सैनिकों और देश के लिठअपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ लà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¥‡ अमर शहीदों को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की है। लेखक का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है कि हमारी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासत और वीरों की अमर गाथा और उनसे जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आज की यà¥à¤µà¤¾ पीढ़ी तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जाà¤, ताकि उनमें देश में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤˜à¤¾à¤¤à¥€ ताकतें, जो समय-समय पर सिर उठाती रहती हैं, उनका दमन करने की शकà¥à¤¤à¤¿ मिले और देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की लौ को तीवà¥à¤° गति से पà¥à¤°à¤œà¥à¤µà¤²à¤¿à¤¤ किया जा सके।à¤à¤¾à¤°à¤¤ माठके वीर सपूतों का पà¥à¤£à¥à¤¯-सà¥à¤®à¤°à¤£ कर उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विनमà¥à¤° आदरांजलि है यह पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥¤
Information
-
Out of stock
- Format:Book
- Pages:216 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:20/04/2017
- Category:
- ISBN:9789386300041
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Out of stock
- Format:Book
- Pages:216 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:20/04/2017
- Category:
- ISBN:9789386300041