Parchhaiyan Hardback
by Ramesh Mishra
Hardback
Description
इस सगरह म सममिलित रचनाओ म मानव जीवन क विविध पकष आठह। यदयपि अधिकाश रचनाओ म परम जस उदातत और सारवà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µ क ही अनयानय पकष व रप परमखता स उà¤à¤° ह, तथापि बहत स अनय सामानय à¤à¤¾à¤µà¥‹ और परिसथितियो का निरपण करती रचनाठà¤à¥€ सममिलित ह।वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ अपने शीरà¥à¤·à¤• के अनà¥à¤°à¥‚प जीवन में आनेवाली सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और मनोà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ की 'परछाइयाà¤' ही इस संगà¥à¤°à¤¹ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विषय-वसà¥à¤¤à¥ हैं। कहा जाता है कि रूप और सौंदरà¥à¤¯ देखनेवाले की आà¤à¤–ों में होता है à¤à¤µà¤‚ देखनेवाले के पास यदि शबà¥à¤¦-शिलà¥à¤ª à¤à¥€ है तो यह शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में उतर आता है, किंतॠजब इस शिलà¥à¤ª को वह रूप और सौंदरà¥à¤¯ का सागर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ देखे तथा अब शांत हो चà¥à¤•à¥‡ उस सागर में à¤à¥€ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का जà¥à¤µà¤¾à¤° आ जाठतो कविताओं में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ बिंबों की पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होती है। पर यह होगा à¤à¥€ तो देखा नहीं जा सकेगा। हाà¤, यह à¤à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की à¤à¤• उड़ान तो है ही!यही इन कविताओं का सार ततà¥à¤¤à¥à¤µ है जो विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ रचनाओं के माधà¥à¤¯à¤® से बार-बार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤§à¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¤ हà¥à¤† है, और अलग-अलग समय पर जीवन में जो à¤à¥€ हà¥à¤† है, उनकी 'परछाइयाà¤' इन कविताओं में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ देखी जा सकती हैं।
Information
-
Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:88 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2018
- Category:
- ISBN:9789386054920
Information
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Out of stock
- Format:Hardback
- Pages:88 pages
- Publisher:Prabhat Prakashan
- Publication Date:01/12/2018
- Category:
- ISBN:9789386054920